किसी भी सप्लीमेंट का सेवन शुरू करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य लें| |
दुष्प्रभाव - गैस, सूजन, उल्टी या अतिसंवेदनशील लोगों में किसी प्रकार की एलर्जी। |
सिलीअम की भूसी एक प्रकार का फाइबर है जो भारत में मूल रूप से पाए जाने वाले प्लांटैगो ओवाटा नामक पौधे के बीज से प्राप्त होता है। सिलीअम पानी में घुलनशील है; पानी में डालने से यह फुलता है और चिपचिपा हो जाता है। हमारा मानव शरीर इसे पचा नहीं सकता है |
इसका उपयोग सप्लीमेंट (आहार पूरक) के रूप में किया जाता है तथा आमतौर पर यह भूसी, दानों, कैप्सूल या पाउडर के रूप पाया जाता है।
सिलीअम की भूसी के लाभ
सिलीअम की भूसी एक प्राकृतिक रूप में पाया जाने वाला फाइबर है, हमारा पेट इसका पाचन नहीं कर पाता तथा यह पानी को सोखने के पश्चात फूलकर चिपचिपा हो जाता है। इसके स्वास्थ्य संबंधित कई लाभ हैं-
कब्ज़ की समस्या से राहत के लिए - भूसी का उपयोग (लैक्सेटिव) रेचक के रूप में किया जाता है। इसमें पानी को बाँधने की क्षमता होती है, यह मल के थोक को बढ़ाता है तथा मल त्याग की प्रक्रिया को सरल बनाता है|
जीर्ण कब्ज़ की समस्या से ग्रसित १७० लोगो पर किए गए एक अध्ययन से यह पता लगा की दो सप्ताह तक दिन में दो बार ५.१ ग्राम सिलीअम की भूसी का सेवन करने से मल में पानी की मात्रा व मल के भार में वृद्धि होती है, साथ ही मल त्याग करने की संख्या भी बढ़ जाती है।
सिलीअम की भूसी के सेवन से आंतों के माइक्रोफ्लोरा में भी परिवर्तन आता है, जो हमारे पाचन तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक है।
कोलेस्ट्रॉल (वसा) कम करने के लिए - सिलीअम की भूसी में बाइल साल्ट को बाँधने की क्षमता होती है, जिसके कारण वह रक्त में कोलस्ट्रोल (वसा) का अवशोषण होने से रोकती है।
अध्ययनों के मुताबिक प्रतिदिन दो बार ५.१ ग्राम सिलीअम की भूसी का सेवन करने से पुरुषों के रक्त में कुल कोलेस्ट्रॉल (वसा) तथा एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल (वसा) के स्तर में तथा महिलाओं में प्राथमिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के स्तर में कमी देखी गई|
दस्त के इलाज हेतु - भूसी मल का घनत्व बढ़ाने तथा बृहदान्त्र (कॉलन) से इसके मल के निकास की प्रक्रिया को धीमा करती है| इसलिए सिलीअम की भूसी कब्ज़ तथा दस्त दोनों ही समस्याओं के इलाज हेतु गुणकारी है।
मधुमेह के रोगियों में शुगर के स्तर को कम करने के लिए -
सिलीअम की भूसी रक्त में उच्च शुगर के स्तर के प्रबंधन में गेहूं के चोकर के मुकाबले बेहतर कार्य करती है। इसमें घुलनशील जेल बनाने वाले फाइबर मौजुद होते हैं, जो भोजन के पाचन की प्रक्रिया को धीमा करता है तथा हमारे भोजन में मौजूद शुगर को रक्त में धीरे-धीरे छोड़ता हैं, भोजन के पश्चात एकाएक शुगर के स्तर को रक्त में बढ़ने नहीं देता|
मधुमेह से ग्रसित ५६ पुरुषों पर एक अध्ययन किया गया जिनके दौरान उन्हें आठ सप्ताह तक प्रति दिन ५.१ ग्राम साइलियम दिन में दो बार दिया गया। जिसके फलस्वरूप उनके रक्त में शुगर के स्तर में ११ % तक की कमी देखी गई|
वजन घटाने के लिए -
सिलीअम की भूसी को निम्नलिखित तरीकों से वजन घटाने में सहायक होने के लिए जाना जाता है -
- इसमें उच्च तृप्ति मूल्य होता है, साथ ही इसका सेवन करने से यह पेट खाली होने की प्रक्रिया को भी धीमा कर देता है जिसके परिणाम स्वरूप भूख की अनुभूति कम होती है|
- आहार में मौजूद फाइबर मलत्याग के दौरान ऊर्जा उत्सर्जन को बढ़ाकर हमारे शरीर में होने वाले ऊर्जा अवशोषण को कम करने में मदद कर सकता है|
- हमारे आंत में मौजूद बैक्टीरिया फाइबर का सेवन करने हैं, शरीर का स्वस्थ माइक्रोबीयम मोटापे को रोकने में मदद कर सकता है।
चयापचय (मेटाबॉलिक) सिंड्रोम के उपचार में उपयोगी -
सिलीअम की भूसी मेटाबोलिक सिंड्रोम (एमएस) के इलाज में सहायक साबित हुई है| एमएस शरीर में होने वाले विकारों का एक ऐसा समूह है जिसके कारण सीएचडी तथा मधुमेह जैसी जीर्ण बीमारियाँ हो सकती हैं|
विकारों के लक्षणों में सूजन, पेट के आसपास वसा का उच्च प्रतिशत, उच्च रक्तचाप, खराब कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर आदि शामिल हैं।
सिलीअम की भूसी का दैनिक रूप से सेवन करने से शरीर में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल तथा उच्च रक्तचाप की समस्या को कम करने में सहायता मिलती है|
बाजार में सिलीअम की भूसी की उपलब्धता
सिलीअम की भूसी सप्लीमेंट / कैप्सूल, पाउडर के रूप में या खड़ी भूसी के रूप में बाजार में उपलब्ध है। आमतौर पर इसबगोल (भूसी के पाउडर के रूप में) और मेटामुसिल (कैप्सूल / पाउडर के रूप में) का बाजार में सबसे ज्यादा प्रचार है|
सिलीअम की भूसी की खुराक
५-१० ग्राम भूसी का पाउडर आमतौर पर सभी लोगों द्वारा सहजता से उपयोग किया जाता जा सकता है। प्रतिदिन एक खुराक से शुरुआत करें तथा धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर प्रतिदिन दो बार तक इसका सेवन करें|
भूसी के पाउडर को एक गिलास दूध या जूस के साथ मिलाकर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है| इसके इस्तेमाल के दौरान पूरे दिन अच्छी तरह पानी पीने व हाइड्रेटेड रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि सिलीअम की भूसी हमारे पेट में बहुत पानी सोखती है|
इसबगोल / सिलीअम की भूसी के पाउडर का उपयोग कैसे करें?
शुरुआत में भूसी के पाउडर के १ बड़े चम्मच को एक गिलास गर्म पानी के साथ लें| प्रातकाल नाश्ता करने से पूर्व इसका सेवन करें। यदि इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो तो आप इसी प्रकार इसका सेवन रात को सोने से पहले भी कर सकते हैं| भूसी के पाउडर को इस्तेमाल करने के अन्य तरीके निम्नलिखित हैं -
- रात को गर्म दूध में एक चम्मच पाउडर मिलाकर उसका सेवन करने से कब्ज़ से राहत प्राप्त होती है साथ ही दूध अच्छी नींद प्रदान करने में भी सहायता करता है|
- स्मूदी या मिल्कशेक में एक चम्मच भूसी के पाउडर को मिलाकर खाने से पेट भी भर जाता है तथा सिलीअम की भूसी के लाभ भी प्राप्त होते हैं|
- दस्त की समस्या के दौरान, छाछ में एक चम्मच भूसी का पाउडर मिलाकर उसका सेवन करने से दस्त की आवृत्ति कम हो जाती है।
सिलीअम की भूसी का उपयोग किसे करना चाहिए
सिलीअम की भूसी का निम्नलिखित लोगो द्वारा उपयोग किया जा सकता है -
- जो लोग कब्ज़ / डायरिया की समस्या से गंभीर रूप से ग्रसित हैं
- उच्च कोलेस्ट्रॉल (वसा) के स्तर वाले लोग
- दाँतों की समस्या से ग्रसित लोग, जो फलों और सब्जियों को चबा नहीं सकते
- जिनके भोजन में फाइबर की मात्रा की कमी हो
- वह लोग जो मोटे हैं और अपना वजन कम करना चाहते हैं
सिलीअम की भूसी के उपयोग हेतु विपरीत संकेत
सिलीअम की भूसी की प्रतिदिन २० ग्राम की मात्रा हमारा शरीर बहुत अच्छे से उपयोग कर सकता है। परंतु फिर भी अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है -
- यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं
- यदि आप अपने बच्चे के आहार में भूसी के पाउडर का इस्तेमाल करना चाहते हो
- यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहें हैं तो, क्योंकि भूसी कुछ दवाओं के अवशोषण को कम कर सकती है
- अगर आपको भूसी का सेवन करने से पेट से संबंधित कोई परेशानी जैसे गैस, ब्लोटिंग (गैस के कारण पेट में सूजन), जी मिचलाना, उल्टी या किसी अन्य प्रकार की त्वचा से संबंधित एलर्जी हो तो|