सहजन (मोरिंगा) - एक सुपरफूड



 

सहजन के नाम से विदित, मोरिंगा (ड्रमस्टिक्स), का उपयोग भारतीय पाक विधियों में व्यापक रूप से किया जाता है। अनेक स्वास्थ्य लाभों के कारण  इसकी पत्तियों, फूल और बीज का प्रयोग सिर्फ भोजन पकाने में ही नहीं अपितु दवाओं में भी किया जाता है।

पोषक तत्वों से परिपूर्ण होने के कारण इसे सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों (सुपरफूड) की श्रेणी में गिना जाता है। सहजन में शोथरोधी, ऑक्सीकरण रोधी व रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जिनके कारण ये हृदय और यकृत की रक्षा करता है तथा रक्त शर्करा की मात्रा भी कम करता है।

सहजन के अत्यधिक सेवन से पाचन संबंधी विकार हो सकते हैं, अतः गर्भावस्था व स्तनपान की अवस्था में इसका सेवन हितकारी नहीं है।

मोरिंगा पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है। इसमें विटामिन, खनिज व अमीनो अम्ल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

  • मोरिंगा की पत्तियों का अर्क शारीरिक सूजन को कम करने में सहायता करता हैl साथ ही अपनी ऑक्सीकरण रोधी (एंटीऑक्सीडेंट) क्षमता के कारण यह मुक्त कणों से लड़ने में भी सहयोग करता है|
  • मोरिंगा में रक्त वसा (लिपिड) व रक्त शुगर के स्तर को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं, जो हृदयवाहिनी प्रणाली (कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम) संरक्षण में सहायक होते हैंl
  • रोगाणु रोधक गुणों के कारण मोरिंगा जख्म भरने की प्रक्रिया की संवृद्धि  में प्रभावशाली है |

 

उपयोग -  मोरिंगा की पत्तियों व बीजों का प्रयोग खाना पकाने में होता है वहीं इसके फूलों से बनी चाय का उपयोग वसा (कोलेस्ट्रोल) कम करने के लिए किया जाता है|

  • मोरिंगा की जड़ों का प्रयोग विभिन्न प्रकार की दवाइयां बनाने में किया जाता है |

सहजन या मोरिंगा का पेड़ भारत पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में पाया जाता है | यह उष्णकटिबंध में भी उगाया जाता है | इसकी पत्तियों, छाल, फूल, फल, बीज और जड़ का औषधि बनाने में उपयोग होता है |  सहजन का वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलेइफेरा है जिसे हॉर्सरेडिश ट्री, बेन ट्री, या ड्रमस्टिक ट्री भी कहते हैं |

पोषण मान

 

  • केले के फल से 3 गुना अधिक पोटैशियम |
  • दूध से 4 गुना अधिक कैल्शियम |
  • पालक से 25 गुना अधिक आयरन |
  • संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन सी |
  • गाजर से 4 गुना अधिक विटामिन ए |
  • केले से 50 गुना अधिक विटामिन B2 |
  • मूंगफली से 50 गुना अधिक विटामिन B3 |
  • दूध या दही से 2 गुना अधिक प्रोटीन |

 

सहजन (मोरिंगा) के लाभ

 

  • पोषण से भरपूर - सहजन में खनिज, लवण और अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में मिलते हैं | विटामिन ए, सी ई, कैल्शियम, पोटैशियम और प्रोटीन की विशिष्ट मात्रा होती है |
  • फ्री रेडिकल्स के विरुद्ध - सहजन के फूल, पत्ती और बीज में फ्लेवोनॉयड, पॉलीफेनॉल और एस्कोरबिक एसिड जैसे प्रतिउपचायक होते हैं जो फ्री रेडिकल्स की वजह से हुए ऑक्सीडेटिव तनाव, कोशिकाओं की क्षति और सूजन से लड़ते हैं |
  • इन्फ्लेमेशन के विरुद्ध - इन्फ्लेमेशन की वजह से कई जीर्ण रोग जैसे मधुमेह, श्वास प्रणाली संबंधी बीमारियां, ह्रदय रोग और मोटापा होने की संभावना होती है | सहजन इन्फ्लेमेटरी एंजाइम्स और प्रोटींस को दबाकर शरीर में इन्फ्लेमेशन कम करता है | मोरिंगा की पत्तियों का अर्क कोशिकाओं में इन्फ्लेमेशन को काफी हद तक कम करता है
  • मधुमेह के लक्षण कम करना - मोरिंगा की पत्तियों का चूर्ण मधुमेह के मरीजों में लिपिड और ग्लूकोज के स्तर को कम और ऑक्सीडेटिव तनाव को नियमित करता है | ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कम कर यह कोशिकाओं की क्षति होने से रोकता है |
  • हृदय तंत्र का संरक्षण - सहजन की पत्तियों का चूर्ण  स्वस्थ ह्रदय के लिए अत्यंत लाभदायक है | यह खून में लिपिड को नियमित करता है, धमनियों में प्लाक गठित होने से रोकता है और कोलेस्ट्रॉल कम करता है |
  • स्वस्थ मस्तिष्क के लिए गुणकारी - अपने प्रतिउपचायक और न्यूरो एनहांसर गुण के वजह से सहजन

मस्तिष्क के स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक क्रियाशीलता में लाभकारी होता है | अल्जाइमर के उपचार में मोरिंगा के प्रयोग में प्रारंभिक अनुकूल परिणाम मिले हैं | सहजन में विटामिन ई और सी की प्रचुरता न्यूरॉन अधःपतन को रोकती है और मस्तिष्क की क्रियाशीलता में सहायक होती है | यह मस्तिष्क में सेरोटोनिन, डोपामिन और नोराड्रीनलीन को सामान्य करता है | यह न्यूरो ट्रांसमीटर स्मृति, मनोदशा और शरीर के विभिन्न अंगों की क्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं |

  • यकृत का संरक्षण - सहजन के फूल और पत्तियों में पॉलिफिनॉल्स की उच्च सांद्रता होती है | यह यकृत की ऑक्सीडेशन, विषाक्तता और क्षति से रक्षा करते हैं |
  • रोगाणुरोधी और जीवाणुरोधी गुण - त्वचा को संक्रमित करने वाले फंगी एवं रक्त और मूत्र पथ में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ मोरिंगा प्रभावी होता है |
  • घाव भरने की प्रक्रिया में सहायक - सहजन की पत्तियों,  जड़ और बीज में रक्त को जमाने के गुण है जिससे घाव भरने में कम समय लगता है |  यह चोट लगने पर रक्त स्राव को जल्दी कम करता है |
  • एंटी कैंसर गुण - दी एशियन पेसिफिक जर्नल ऑफ़ कैंसर प्रीवेंशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार शोधकर्ताओं ने चूहों में सहजन के बीजों के अन्तर्ग्रहण से स्किन ट्यूमर का निवारण देखा है | इससे मिले परिणाम मैं देखा गया कि स्किन पपिल्लोमा में गंभीर घटौती हुई , जिससे पता चला कि मोरिंगा ओलेइफेरा मे कैंसर अवरोधी गुण हो सकते हैं |

 सहजन का प्रयोग

  • बीज के तेल का इस्तेमाल पारंपरिक तेल के स्थान पर किया जा सकता है |
  • बीज का इस्तेमाल श्रृंगार प्रसाधन किया जा सकता है | यह बायोडीजल का भी स्त्रोत है | इसका इस्तेमाल हरी खाद के रूप में भी हो सकता है |
  • फूल से बनी चाय में हाइपो कोलेस्टरोलेमिक गुण होते हैं |
  • इसकी जड़ में औषधीय गुण होते हैं जिसका इस्तेमाल डिस्पेप्सिया, नेत्र विकार और हृदय से संबंधित परेशानियों में होता है | इसकी मुख्य जड़ मसाले के रूप में प्रयोग की जाती है |
  • इसकी ताजा पत्तियों का इस्तेमाल विभिन्न व्यंजनों में किया जा सकता है | सूखी पत्तियां  जूस, स्मूदी या फिर सादे पानी में मिलाकर पी जा सकती हैं |

दुष्प्रभाव

चिकित्सक द्वारा निर्धारित की गई सही खुराक का सेवन करने से मोरिंगा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। गौरतलब है कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए मोरिंगा के विरोधात्मक प्रभाव हो सकते हैं, अत: इनके लिए मोरिंगा का उपयोग केवल चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही किया जाना चाहिए|

  • इसमें निहित अनेक लाभकारी गुणों के कारण मोरिंगा के ताज़े पत्तों अथवा इन्हीं पत्तों के चूर्ण का नियमित प्रयोग दीर्घकालीन परिणाम व बेहतर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  • मोरिंगा रक्त में शुगर के स्तर को कम करने में सहायक है, इसी कारण मधुमेह से ग्रसित लोगों को अल्पग्लूकोसरक्‍तता (हाइपोग्लाइसीमिया) की दवाइयों के साथ मोरिंगा का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए| रक्त में अत्याधिक शुगर की कमी से हाइपोग्लाइसीमिया का विकार हो सकता है |
  • स्कन्दनरोधी (एंटीकोएगुलेंट) रक्त पतला करने वाली दवाइयों जैसे वार्फरिन के साथ मोरिंगा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से रक्तस्रवण का खतरा बढ़ जाता है |
  • मोरिंगा की जड़ों, फूलों व छाल में पाए जाने वाला पादपरासायनिक (फाइटोकेमिकल) गर्भाशय संकुचन का प्रभाव  उत्पन्न करता है। इसी कारण गर्भवती महिलाओं में मोरिंगा के उपयोग से गर्भपात का खतरा बन सकता है| स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए मोरिंगा का उपयोग सुझावित नहीं है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से नवजात शिशुओं में पेट संबंधित रोग हो सकते हैं|

मोरिंगा में रेचक (लैक्सेटिव) गुण पाए जाते हैं तथा अधिक मात्रा में इसका सेवन उदरीय विस्तार (डिस्टेंशन), उदरीय सूजन (ब्लोटिंग), दस्त (डायरिया) व जलन (हार्टबर्न) की समस्याओं का कारक बन सकता हैl


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