भोजन - महत्वपूर्ण व्यंजक


मानव शरीर में होने वाली विभिन्न गतिविधियों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण गतिविधि भोजन ग्रहण करना है| यह शरीर को ना सिर्फ प्रतिदिन दैनिक गतिविधियों के लिए आवश्यक उर्जा प्रदान करता है, अपितु शरीर के विभिन्न ऊतकों का पोषण भी प्रदान करता है| ग्रहण किए गए भोजन की गुणवत्ता और मात्रा ("क्या") के अतिरिक्त खाने का समय ("कब") व खाने का तरीका ("कैसे") भी पाचन क्रिया पर चरितार्थ प्रभाव डालता है| 

स्मरण रहे -  "जो भोजन हम नहीं पचा पाएंगे, वह भोजन हमें पचा लेगा"| भोजन को लेकर कुछ निम्नलिखित युक्तियां हैं जो विभिन्न जनसमूह, संस्कृतियों व भौगोलिक सीमाओं, सभी के लिए सामान्य व उपयोगी हैं| 


खान-पान संबंधी सुझाव

समय 

१) भोजन करने का एक नियमित समय तथा भोजन की समुचित मात्रा सुनिश्चित करें| अनियमित भोजन भी पाचन संबंधी समस्याओं का एक प्रमुख कारण है|  
२) दोपहर के भोजन के पश्चात विश्राम करना (मूलतः नींद की अपेक्षा लेट कर विश्राम करना) व रात के भोजन के पश्चात थोड़ी देर टहलना, पाचन क्रिया के लिए अच्छा माना जाता है| 
३) सोने से २ से ३ घंटे पूर्व ही रात का भोजन ग्रहण करें| खाना खाने के पश्चात तुरंत सोने से पाचन संबंधित समस्याएं होती हैं व शरीर को आरामदायक नींद की प्राप्ति नहीं हो पातीl  


भोजन शैली 

१) शांत चित्त होकर भोजन करेंl अशांत मन (क्रोध, दुःख,भय इत्यादि) से किया गया भोजन शरीर को हानि पहुँचाता है| कई संस्कृतियों के अनुसार भोजन करने से पूर्व प्रार्थना करने से तथा ग्राउंडिंग की प्रक्रिया (भूग्रस्त हो शारीरिक ऊर्जा के संचार को संतुलित करना) से मन को शांति मिलती है| 
२) भोजन अच्छे से चबा कर खाना चाहिए। तेजी से किया गया भोजन शरीर के लिए लाभदायक नहीं होता| अच्छे से भोजन ग्रहण करने का औसतन समय आधा घंटा है| अच्छे से चबाकर खाया गया भोजन मन को संतुष्टि प्रदान करता है व प्रभावपूर्ण पाचन प्रक्रिया में सहायक है| 
३) कई संस्कृतियों में ज़मीन पर बैठकर भोजन करने की प्रथा हैl नीचे बैठकर खाने से पाचन क्रिया बेहतर होती है तथा किए गए भोजन से मन को तृप्ति मिलती है| 
४) मस्तिष्क तक यह संकेत पहुंचने में कि आपने पर्याप्त मात्रा में भोजन ग्रहण कर लिया है, में औसतन १० मिनट का समय लगता है इसलिए पेट के पूर्ण रूप भरने से पूर्व ही भोजन करना रोक देना चाहिए| 


मात्रा और गुणवत्ता 


१) सही मात्रा में भोजन करने से भोजन के दौरान व उसके पश्चात शरीर हल्का रहता हैI इसी कारण क्षुधा से अधिक भोजन नहीं खाना चाहिए| बेहतर पाचन के लिए पेट का एक तिहाई भाग ठोस खाना, एक तिहाई भाग तरल व इसके अतिरिक्त शेष भाग पाचक किण्वक व उप उत्पाद के लिए होता है जो पाचन प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाता है| 
२) वे लोग जिनको अधिक मानसिक क्रियाओं की आवश्यकता होती है और छात्रों को बासी खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि बासी खाना आलस्य व कुंठित स्मृति का कारण होता है| 
३) पके हुए भोजन का तापमान हमारे शरीर के तापमान से थोड़ा अधिक होना चाहिए। ज्यादा ठंडा अथवा गरम भोजन दांतो को नुकसान पहुंचाता है साथ ही लिवर को कमजोर कर देता हैl गरम भोजन स्वादिष्ट होने के साथ-साथ हमारी पाचन अग्नि को संतुलित रखने में सहायता करता है जो हमारे पाचक अपशिष्ट के निष्कासन को बेहतर बनाता है| 
४) पेट में भोजन के संचालन तथा बेहतर पाचन व पोषक तत्वों के अवशोषण हेतु वसा की आवश्यकता होती है और इसी कारण पके हुए भोजन में अतिरिक्त वसा की ज़रूरत होती हैl 
५) शरीर को सामान्यतः, अनाज के पाचन के लिए कम से कम 3 घंटे का समय लगता है| इसी कारण भोजन के मध्य 3 घंटे का अंतर आवश्यक है| अतः खाए हुए भोजन के पाचन से पूर्व यदि फिर से भोजन खाया जाए तो शरीर में कई प्रकार के असंतुलन व बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं| 
६) भोजन में पर्याप्त मात्रा में क्षरीय व विटामिन युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे फल व सब्ज़ियाँ) साथ ही प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स युक्त अनाज भी आवश्यक हैं। हमारे भोजन में इन संघटको का सही अनुपात ३:१ है| स्वास्थ्य के लिए अंकुरित चना, मूंग तथा अन्य अंकुरित अनाज, फलों व सब्जियों के उत्तम संपूरक हैं|  
७) तले हुए खाद्य पदार्थों का परहेज करें व भोजन में उनकी मात्रा को कम रखें क्योंकि तला हुआ भोजन भारी होता है, और इसी कारणवश शरीर को इसके पाचन में कठिनाई होती है|  
८) सुबह की चाय तथा कॉफी के स्थान पर गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर पीना एक अच्छा और स्वस्थ विकल्प हैl 
९) भोजन अधिकांशतः सूखा नहीं होना चाहिए। अपितु पर्याप्त मात्रा में जल और वसा युक्त भोजन करना स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है। पाचन तंत्र क्रियात्मकता को सुगम बनाने के साथ साथ यह विटामिन और अन्य पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में भी मदद करता है। 
 


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