पीसीओएस


अवलोकन

क्या आपने हाल ही में निम्नलिखित लक्षणों की अनुभूति की है ?

  • कुछ ही अवधि में वजन में वृद्धि?
  • अनियमित माहवारी?
  • मुँहासे और चेहरे पर बालों में वृद्धि?
  • सिर के  बालों का पतला होना?
  • अवसाद?
  • प्रजनन संबंधी समस्याएं?

यदि ऐसा है तो संभवतः आप पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) या पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (अंडाशय के अंदर बहुत सारे छोटे अल्सर होना) से ग्रसित हो सकते हैं| यह प्रजनन हार्मोन में असंतुलन के कारण होने वाला विकार है| आमतौर पर  यह  प्रजनन उम्र के वर्ग की महिलाओं में देखा जाता है| यह विशेषत: पुरुष हाॅर्मोन एंड्रोजन के स्तर में वृद्धि व अनेक गांठो (सिस्ट) के कारण अभिवर्धित अंडाशय द्वारा चिन्हित होता है| (इसीलिए इसे पॉलीसिस्टिक कहा जाता है)।

अंडाशय से संबंधित बीमारियों के समूह को पीसीओएस या पीसीओडी कहते हैं। यदि प्रारंभिक स्तर पर इसे नियंत्रित या उपचारित ना किया जाए तो यह कई गंभीर विकार जैसे मधुमेह, हृदय रोग व थायराइड की समस्याओं को जन्म देता है|

१८-४५ वर्ष की आयु वर्ग में पीसीओएस के प्रसार का दायरा जहां विश्व में ५-१०% के बीच है, वहीं भारत में इसी दायरे का ८-२५% के बीच होने का अनुमान है।

सोनम कपूर- बॉलीवुड जगत की एक वह मशहूर हस्ती हैं, जो सदैव अपने मोटापे से लेकर फिट होने तक के सफर के विषय में मुखर रही हैं। बॉलीवुड में प्रवेश करने से पूर्व, अपने अनुभवों के बारे में वह बताती हैं कि किस प्रकार उन्होंने अपनी किशोरावस्था के मोटापे, लालायितता तथा अवसाद जैसी समस्याओं को नियंत्रित किया व एक सतत् और स्वस्थ शारीरिक आकृति को प्राप्त कियाI पीसीओएस विकार को झेलने वाली अभिनेत्रियों में एक नाम सोनम का भी शामिल हैं| सोनम ने एक बार कबूल करते हुए कहा, कि १९ वर्ष की आयु में उन्हें अधिक वजन होने के कारण काफी सारी समस्याओं से जूझना पड़ा था। चेहरे पर बाल होन के साथ-साथ वे मधुमेह से भी ग्रसित थीं।

लक्षण

पीसीओएस के संकेत व लक्षण

ऊपर वर्णित लक्षणों के अतिरिक्त, कुछ महइलाओं को  निम्नलिखित लक्षणों में से एक या अधिक लक्षणों का भी  अनुभव करना पड़ सकता है:

सी प्रतिक्रियाशील प्रोटीन के संकेंद्रण में वृद्धिजो कोरोनरी हृदय रोग (हृदय में खून का प्रवाह करने वाली नसों की क्षति या रोग) को इंगित करता हैI

रक्त में लिपिड (वसायुक्त पदार्थ) का स्तर असामान्य हो जाता है।

टाइप+२ मधुमेह के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

हॉर्मोनल परिवर्तन से कारण कुछ महिलाओं को सिरदर्द की शिकायत हो सकती हैI

कारक

पीसीओएस के क्या कारण है?

पीसीओएस होने का कोई भी सटीक कारण स्पष्ट नहीं हैं| सबसे अधिक संभावित कारण निम्नलिखित हैं :

एण्ड्रोजन (पुरुष हॉर्मोन) का उच्च स्तर - मोटापे से शरीर में सूजन उत्पन्न होती है। यह सूजन शरीर में एंड्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बढ़ा देती है| शरीर में उच्च पुरुष सेक्स हॉर्मोन का स्तर पीसीओएस का कारक बनता हैI

इंसुलिन प्रतिरोध - मोटापा शारीरिक कोशिका को इंसुलिन (रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने वाला हॉर्मोन) प्रतिरोधक बना देता है जो हॉर्मोन असंतुलन का कारण है। पीसीओएस भी शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध उत्पन्न करता तथा शरीर को इस दुष्चक्र में फंसा देता है।

आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) - महिलाओं का आनुवंशिक जीन एक महत्वपूर्ण कारक हैं जो यह निर्धारित करता है की वह महिला पीसीओएस से ग्रसित हो सकती है या नहीं|

रोगनिदान

पीसीओएस का निदान - प्रारंभिक निदान, एक  प्रभावशाली उपचार के लिए अति महत्वपूर्ण है।

१. लक्षण - अंडाशय में गांठो/ अनियमित माहवारी चक्र/ एण्ड्रोजन की संकेंद्रण में वृद्धि की पहचानI

२. रक्त परीक्षण - प्रथमत: एण्ड्रोजन के स्तर की जांच हेतु रक्त परीक्षण, तत्पश्चात लिपिड प्रोफाइल, इंसुलिन व कोलेस्ट्रोल (रक्तवसा) के स्तर की जांच ताकि मधुमेह या सीएचडी (कोरोनरी हार्ट डिजी़ज़) होने के जोखिम की जानकारी प्राप्त हो सके|

३. श्रोणीय (पेल्विक) परीक्षण - अंडाशय या गर्भाशय की जांच, ताकि इनमें किसी भी प्रकार की अवांछित विकास का पता किया जा सके|

४. अल्ट्रासाउंड परिक्षण - यहअसामान्य पुटक (फॉलिकल) व गांठो की जाँच के लिए किया जाता है|

उपचार

पीसीओएस के उपचार

पीसीओएस के उपचारकामुख्य उद्देश्य इसके लक्षणों का निवारण करना, इसकी जटिलता को प्रतिबंधित करना व इसके मूल कारण का उपचार करना है।

पीसीओएस के निम्नलिखित उपचार हैं:

१. जीवन शैली में परिवर्तन

२. आयुर्वेदिक उपचार

३. चिकित्सक अंतःक्षेप

जीवन शैली में परिवर्तन कर पीसीओएस के उपचार में चार निम्नलिखित मानक शामिल हैं:

१. अच्छी व बेहतर नींद

२. संतुलित आहार

३. तनाव प्रबंधन

४. व्यायाम

नींद

एक अच्छी व बेहतर नींद शरीर में स्वास्थ्यप्रद व नैतिक सुधार लाने में उपयोगी होने के साथ-साथ कोर्टिसोल हॉर्मोन को नियंत्रित कर शरीर का हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने में भी सहायता करती है| हालाँकि, पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में निद्रा संबंधी परेशानियां आमतौर पर देखी जाती है जिसे सुधारने व अच्छी नींद प्राप्त करने में निम्नलिखित रणनीतियाँ मददगार साबित हो सकती हैं:

  • अपनी दिनचर्या को नियमित कर एक उपयुक्त निद्रा चक्र बनाएं तथा कम से कम ७-८ घंटे की नींद लें।
  • मानसिक गतिविधियों को उत्तेजित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों को अपनी जीवनचर्या से वर्जित करेंI
  • सोने के तुरंत पहले भारी भोजन से परहेज करेंI
  • सोने से पूर्व अति श्रमसाध्य व्यायाम करने से बचें।

तनाव प्रबंधन और व्यायाम

  • कोर्टिसोल - तनाव से कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है व लम्बे समय तक इसका प्रभाव अंतःस्रावी शिथिलता (एंडोक्राइन डिसफंक्शन)  का कारण बनता है।
  • तनाव होना समस्या नहीं है, परंतु तनाव के सही तरीके से प्रबंधित ना होने के कारण शरीर पर होने वाले उसके प्रभाव एक जटिल समस्या हैं।
  • तनाव प्रबंधन के तरीके हैं -

१. रोजाना व्यायाम - व्यायाम, वजन प्रबंधन में मदद करता है तथा हैप्पी हॉर्मोन की निर्मुति करता है। इसमें निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं:

  • ३० मिनट के लिए चल सकते हैं या जॉगिंग कर सकते हैं|
  • तैराकी या साइकिल चलाना।
  • सप्ताह में एक बार वजन उठाने (वेट लिफ्टिंग) से मांसपेशियों के निर्माण में सहायता मिलती है|
  • योग न केवल तनाव को प्रबंधित करने में बल्कि वजन को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है।

२. किसी हाॅबी में रुचि लेना - पेंटिंग, खाना पकाना, संगीत, नृत्य, नए कौशल सीखना

३.  पालतू जानवर पालना

४. किताब पढ़ना और सामाजिकता (मित्रों से मेलजोल)

 

चिकित्सा अंतःक्षेप

यदि लक्षण जीर्ण हैं तथा तत्काल अवधान की आवश्यकता महसूस होती है तो जल्द से जल्द चिकित्सा अंतःक्षेप अवश्यक है। दवाओं का उद्देश्य लक्षणों को प्रबंधित करना व मधुमेह या हृदय रोग जैसे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचना है। डॉक्टर इंसुलिन प्रतिरोध के लिए मेटफॉर्मिन व प्रजनन हॉर्मोन को संतुलित करने के लिए जन्म नियंत्रण की गोलियों के उपयोग की सलाह दे सकते हैं। यदि आप लंबे समय से बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको गर्भवती होने में मदद करने के लिए भी दवाएं उपलब्ध हैं।

आहार

आहार

आहार पीसीओएस के प्रबंधन कारकों में एक सबसे महत्वपूर्ण कारक है| संतुलित आहार व जीवनशैली में किए गए बदलाव का संयोजन, वजन घटाने से लेकर इंसुलिन प्रतिरोधन में मदद कर महिलाओं को पीसीओएस के प्रबंधन में  सहायता करता है|

१. इंसुलिन प्रतिरोध के प्रबंधन व वजन घटाने में मदद करने वाले खाद्य पदार्थ अपने आहार में सीमित मात्रा में प्रोटीन, लघु वसा तथा कम ग्लाइसेमिक सूची (कम मात्रा में ग्लूकोस प्रदान करने वाले) वाले कार्बोहाइड्रेट्स को शामिल करने से इंसुलिन  स्तर के प्रबंधन व वजन घटाने में सहायता मिलती हैl  वजन घटाने से अंडाशयों की कार्यशीलता में सुधार व इससे संबंधित कुछ हॉर्मोनल असामान्यताओं का उत्क्रमण होता है|

  • इनका समावेश करें- आहार में साबुत अनाज, धान्य, बाजरा, जौ, ज्वार, दालें, नट्स जैसे अखरोट व बादाम, मौसमी फल और सब्जियां सम्मिलित करें और यथा संभव घर पर बने भोजन का ही सेवन करें। दालचीनी, रक्त में शुगर के स्तर को विनियमित करने के लिए जाना जाता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध को रोकता है|
  • इन्हें वर्जित करें- चीनी, परिष्कृत अनाज जैसे मैदा तथा उसके उत्पाद, बेकरी के खाद्य पदार्थ, तला हुआ भोजन व खाने के लिए तैयार उत्पाद जैसे बिस्कुट, नूडल्स, पैक किया हुआ जूस, कैंडी (टाफ़ी) आदि का अपने भोजन के रूप में प्रयोग कम करें|

२. मुँहासे और बालों के झड़ने का प्रबंधन करने में सहायक खाद्य पदार्थ आयरन, जस्ता, विटामिन सी, विटामिन बी १२ और प्रोटीन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व मुँहासों के प्रबंधन व बालों के और नुकसान को रोकते हैं|

  • क्योंकि पीसीओएस से ग्रसित लोग अत्याधिक रक्त प्रवाह (ब्लीडिंग) का अनुभव कर सकते हैं, इसलिए प्रतिदिन आयरन से भरपूर भोजन जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स व बीज जैसे कि अलसी के बीज, कद्दू के बीज, बादाम, तिल, खजूर, अंजीर, मछली, बिना चर्बी का मांस शामिल करने की सलाह दी जाती है।
  • खट्टे फल व सब्ज़ियां जैसे शिमला मिर्च में विटामिन सी पाया जाता है जो आयरन के अवशोषण में मदद करते हैं।
  • नट्स, बीज, मशरूम व दुग्ध उत्पादों में ज़िंक और विटामिन बी-१२ पाया जाता है।
  • वनस्पति प्रोटीन जैसे नट्स, दाल, फलियां, ब्रोकोली भोजन में प्रोटीन मात्रा को बेहतर बनाने के लिए सबसे उत्तम स्रोत मानें जाते हैं।

३. पीएमएस के प्रबंधन में सहायक खाद्य पदार्थ - सोया से बने उत्पादों तथा मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का उपयोग करें व कैफीन के प्रयोग में कटौती करें|

  • आहार में सोया का प्रयोग हॉर्मोन संतुलित करने व हृदय रोगों से बचाने में सहयोगी है। हालाँकि, थायराइड की समस्याओं वाले लोगों को अपने आहार में सोया का प्रयोग करने से पूर्व अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ से राय अवश्य लेनी चाहिए।
  • मैग्नीशियम रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), चिंता तथा पीएमएस के दौरान दर्द को कम करने व अच्छी नींद को बढ़ावा देने में लाभकारी है। मैग्नीशियम स्रोत वाले खाद्य पदार्थ जैसे बादाम, पालक, मशरूम, केले को आहार में सम्मिलित करें|
  • अत्यधिक मात्रा में कैफीन का सेवन एस्ट्रोजेन (महिला हॉर्मोन) के स्तर में हस्तक्षेप करने के लिए जाना जाता है, इसलिए कॉफी का सेवन संतुलित रूप में करना चाहिए।
  • पीएमएस के दौरान होने वाले दर्द के निवारण के लिए, अपने आहार में अज्वाइन का इस्तेमाल करें व पेट के दर्द से निजात पाने के लिए तेल मालिश करें।

४. सूजन विरोधक खाद्य पदार्थ - अध्ययनों से साबित हुआ है कि भूमध्य शैली का आहार ( मेडिटेरेनियन डायट) पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को वजन कम करने, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने व सामान्य तथा नियमित माहवारी के लिए मदद करता है।

  • ओमेगा ३- और ओमेगा ६- वसायुक्त अम्ल (फैटी एसिड) से भरपूर खाद्य पदार्थ- टूना या मैकेरल मछली, अलसी के बीज, कद्दू के बीज, अखरोट व बादाम। प्रतिदिन मुट्ठी भर नट्स और बीजों को का सेवन न केवल प्रोटीन बल्कि अच्छा वसा भी प्रदान करते हैं जो सूजन-रोधक का कार्य करते हैं।
  • रिफाइंड की तुलना में कोल्ड प्रेस्ड तेल व घी एक अच्छा विकल्प है|
  • हल्दी जैसे मसाले व ग्रीन टी में भी सूजन-रोधक गुण होते हैं|
  • प्रोबायोटिक्स जैसे किम्ची व कोम्बुचा, सेक्स हॉर्मोन को विनियमित करने व सूजन को कम करने में सहायक हैं।

५.  जलयोजन (शरीर में जल की मात्रा) - पानी, ग्रीन टी व छाछ पीने से शरीर मेंउचित जलयोजन बना रहता है जो पीएमएस के प्रबंधन में, थकान को कम करने में, संक्रमण को रोकने में तथा वजन घटाने में मदद करता है।

आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य

आयुर्वेदिक उपचार

किसी भी अन्य उपचार की तरह, आयुर्वेदिक उपचार पद्धति ऊर्जा के बलों या दोषों के असंतुलन को ठीक करने पर आधारित है| पीसीओएस के मामले में, महिलाओं में शुक्र धातु के असंतुलन के कारण पुरुष हार्मोन में वृद्धि हो जाती है, जिससे बांझपन की समस्या हो सकती है। निम्नलिखित उपचार फायदेमंद हैं -

१. कुछ निश्चित जड़ी-बूटियाँ जैसे शतावरी, अश्वगंधा, अजवाइन, गोक्षुर ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं जिनका नियमित रूप से सेवन हॉर्मोनल असंतुलन व तनाव को कम करने में लाभदायक है।

२. पंचकर्म - विरेचना व भस्ती जैसे पंचकर्म उपचार हॉर्मोनल संतुलन को विनियमित तथा इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में उपयोगी हैं।

३. नियमित रूप से गहरी व लम्बी साँस लेने की तकनीक व योगासन जैसे धनुरासन, नौकासन, बद्धकोणासन , सुप्त-बद्धकोणासन, भुजंगासन आदि करने से हाॅर्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है|

४. प्राणायाम और नस्य कर्म (पंचकर्म की वह तकनीक जिसमे आयुर्वेदिक औषधि नासिका के मार्ग से दी जाती है) को तनाव कम करने व हॉर्मोन संतुलित करने के लिए जाना जाता है। नस्य कर्म की क्रिया, अंडोत्सर्ग (ओवुलेशन) को भी विनियमित करने में भी लाभकारी है|

५. स्वस्थ भोजन, व्यायाम और तनाव प्रबंधन के माध्यम से पीसीओएस का उत्क्रम प्राकृतिक रूप से कर पाना संभव है।

संक्षेप में

  • दवाओं, उचित आहार व व्यायाम से पीसीओएस से नियंत्रणीय है।
  • ऊपर वर्णित सुझावों के अधार पर अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करने से आप अपने शरीर में होने वाले सकारात्मक परिवर्तनों की अनुभूति कर सकते हैं|
  • अंतत: तनाव को नियंत्रित करें व स्वस्थ जीवन जीने के लिए अधिक अनुशासित बनें|

Doctor AI

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