क्या होगा यदि दवाइयाँ ही भोजन का पर्याय बन जाए? इस प्रश्न के उत्तर को आइए एक लघु कहानी के माध्यम से बेहतर समझते हैं|
हरी और राम महानगरों में रहने वाले दो 40 वर्षीय युवक हैं जो सॉफ्टवेयर कंपनियों में नौकरी करते हैं| दोनों की ही जिंदगी अपने परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने, ऋण चुकाने, ई एम आई भरने इत्यादि के साथ-साथ कार्यभार संभालने में पूरी तरह से व्यस्त है|
तनाव के कारण दोनों ही गंभीर रूप से जठरशोथ (गैस्ट्राइटिस) से ग्रसित हैं, जिसके कारण दोनों अम्लता (एसिडिटी), अम्ल प्रतिवाह (रिफ्लक्स), गैस के कारण पेट में सूजन (ब्लोटिंग), भूख ना लगना, कब्ज़ व थकान जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं| दोनों ही व्यक्तियों का इन समस्याओं से निजात पाने का तरीका एक दूसरे से अलग है| हरी तत्काल चिकित्सक के पास जाता है, जो जाँच व रक्त परीक्षण के पश्चात हरी को अम्ल प्रतिवाह व कब्ज़ से राहत प्रदान करने के लिए दवाइयाँ व प्रत्यम्ल (एंटासिड) लेने की सलाह देता हैl इस तरह ३ से ४ प्रकार की विभिन्न दवाइयों लेकर हरी को जठरशोथ के लक्षणों से राहत तो प्राप्त होती है परंतु साथ ही उसे चिकित्सक, औषधालय व लैब परीक्षण के लिए फीस भी भरनी पड़ती हैl
इसी दौरान, राम स्वयं गहन अध्ययन करता है तथा समान समस्याओं से ग्रसित लोगों से मिलता है। वह उनसे चर्चा कर, अपनी समस्याओं का सबसे उत्तम समाधान निम्नलिखित तरीकों से प्राप्त करने का प्रयास करता है:
- भोजन के मध्य लंबा अंतराल न रखना
- योग व ध्यान कर तनाव कम करने का प्रयत्न करना
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीना
- मसालेदार व तले हुए भोजन के बजाय कच्चे फल व सब्जियों का सेवन करना
संसाधित व बाहर के भोजन का परहेज करना - गैस की समस्याओं व पाचन क्रिया में सहायता करने वाले साबुत मसाले जैसे जीरा, सौंफ, मेथी के बीज व अजवाइन का सेवन
अंततः, इन दोनों अलग-अलग फैसलों का क्या परिणाम निकलता है?
हरी जठरशोथ समस्या के उपचार के लिए ६ - ७ हजार रुपए खर्च कर केवल लक्षणात्मक राहत प्राप्त कर पाता है, परंतु उसकी जठरशोथ समस्या फिर भी बरकरार रहती हैl
जबकि राम जठरशोथ की समस्या के कारकों को समझने के प्रयास में समय लगाता है तथा प्राकृतिक तरीकों से जठरशोथ का पूर्ण रूप से उपचार करने का प्रयास करता है|
सारांश : सही समय पर व सही मात्रा में अच्छे भोजन का सेवन लंबे समय तक अच्छा स्वास्थ्य व तंदुरुस्ती बनाए रखने में सहायक है| दवाइयों का उपयोग तभी किया जाना चाहिए, जब किया गया भोजन बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने के लिए पर्याप्त ना हो| यह दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि हम में से ज़्यादातर लोग इसके विपरीत कार्य करते हैं तथा शरीर को अधिक नुकसान पहुँचा लेते हैं। इसीलिए जागरूक बनें व समझदारी से भोजन का चयन करें|