मौसम में बदलाव अपने साथ कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लेकर आता है | यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें मानव शरीर स्वयं को वायुमंडलीय तापमान और नमी के अनुसार समायोजित करता है| इस बदलाव के दौरान निम्न शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग बीमार पड़ जाते हैं | बुखार/ज्वर ऐसे ही रुग्णता का लक्षण है |
सर्दी-जुकाम, पेट दर्द या कोई और संक्रमण शरीर में ज्वर के रूप में व्यक्त होता है | ज्वर हमारे शरीर के प्रतिरोधक तंत्र की संक्रमण के खिलाफ प्रतिक्रिया है | इसमें शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है |

ज्वर/ बुखार में क्या होता है
- शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट से अधिक हो जाता है
- शारीरिक चयापचयया मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है
- भूख की कमी
- दर्द की संवेदनशीलता का बढ़ना
- सुस्ती
- संक्रमण के आधार पर कुछ विशेष लक्षण जैसे ज्वर के साथ ठिठुरन/शरीर या सर में दर्द
क्या करें
- आराम करें - क्योंकि बुखार के दौरान शरीर संक्रमण से लड़ रहा होता है, इसलिए आराम करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सहायता मिलती है |
- पानी खूब पिएं - बुखार के दौरान चयापचय बढ़ने से शरीर में निर्जलीकरण होना स्वाभाविक है, इसलिए अधिकाधिक मात्रा में पेय पदार्थ, जैसे सादा पानी, जूस, सूप या नारियल पानी ले |
- सादा और सुपाच्य भोजन ग्रहण करें - घर का बना सादा भोजन जैसे चावल या इडली खाएं जिससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिले और पाचन तंत्र पर भार न पड़े |
- हल्के कपड़े पहने - ढीले सूती सूती कपड़े पहने | शरीर को कपड़ों की परतों या स्वेटर से ना ढके | इससे शरीर में ताप कैद रहता है और तापमान को नीचे लाने में कठिनाई होती है |
- घर का वायुसंचार कुशल रखें - ताजा हवा शरीर के तापमान को कम करने में सहायक होती है|
- हाथ या माथे पर ठंडी पट्टी रखें |
- संक्रमण फैलाने से बचें - अपने हाथ नियमितता से धोएं |
न करें
- बिना निर्देश पेरासिटामोल या कोई अन्य दवाई ना ले - यदि तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट है तो दवाई ना ले | शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया या वायरस से लड़ने के लिए शरीर के तापमान को बढ़ा देती है | यदि तापमान 102 डिग्री फॉरेनहाइट से अधिक है और साथ में दर्द और थकान है तो डॉक्टर से संपर्क करें |
- यात्रा ना करें - क्योंकि शरीर पहले से ही वातावरण के अनुरूप होने की कोशिश कर रहा है, यात्रा से होने वाले बदलाव या अस्थिरता की वजह से शरीर को वापस संतुलित होने में अधिक समय लगेगा |
बच्चों में ज्वर/ बुखार होने पर सुझाव
- बच्चों में भिन्न प्रकार के लक्षण हो सकते हैं | लक्षण के आधार पर उपचार करें |
- शरीर का तापमान 101 डिग्री फेरनहाइट के ऊपर होने के अलावा सुस्ती, थकान और तंद्रा जैसे लक्षण बच्चों में देखे जाते हैं| बच्चों के चिकित्सक के निर्देश में एंटीपायरेटिक दवाइयां देना शुरू करें |
- जबरदस्ती भोजन ना खिलाए | भूख न लगना शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है |
- पानी या अन्य पेय पदार्थ जैसे सूप, रवा या चावल की गंजी, पतली खिचड़ी दे | यह सुपाच्य है, शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और जल नियोजित रखते हैं|
- औषधियां और मसाले जैसे सोंठ, अजवाइन और काली मिर्च दे | यह संक्रमण से लड़ते हैं, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं और भूख बढ़ाते हैं |
आयुर्वेदिक उपचार
- महासुदर्शन गण वटी - वयस्कों और 3 साल से अधिक बच्चों को एक टैबलेट दिन में 3-4 बार, 2 से 3 साल के बच्चों को आधा टेबलेट दिन में 3-4 बार |
- काढ़ा - 100 ml पानी में 3g सोंठ पाउडर, 5g अजवाइन, 3g काली मिर्च, 2 लौंग और दालचीनी का एक छोटा टुकड़ा डालकर आधा होने तक उबालें | इसे chhanein और गुड़ मिलाकर दिन में एक या दो बार पीयें | यह विषहरण , पाचन क्रिया और भूख बढ़ाने में सहायक है |
ज्वर/बुखार लक्षण मात्र है, इसलिए कारण जानने के लिए प्रयास करना आवश्यक है | शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कार्य करने का समय दें | कोशिश करें कि शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए सहायता प्रदान करें | आराम करें, पेय पदार्थ लें और शरीर को ऊर्जा प्रदान करें | इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और दवाइयों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकेगा |