जूस


पोषण और स्वास्थ्य को लेकर बढ़ी जागरूकता की वजह से लोग स्वस्थ रहने के लिए नयी तकनीक, नए चलन और आहार प्रणाली को आज़माने में रूचि लेने लगे हैं | ऐसी ही आहार प्रणाली का हिस्सा है विभिन्न प्रकार के फल और सब्ज़ियों के जूस लेना |  

फल और सब्ज़ियों में सूक्ष्म पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं | क्या जूस (फल और सब्ज़ियों का रस) फिर भी लाभदायक हैं ? इसे कितनी मात्रा में ग्रहण करना ठीक है? इसे ग्रहण करने का उपयुक्त समय क्या है? किस फल या सब्ज़ी का मेल किस रोग के लिए ठीक है ? ऐसे कई प्रश्न हैं जिनका उत्तर जानना आवश्यक है |  
 

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जूस में कौन से तत्व होते हैं ? 
 

फल और सब्ज़ियों में से निकाले जाने वाले जूस में निम्नलिखित तत्व होते हैं : 
 

  • विटामिन सी, विटामिन ए (बी -कैरोटीन), खनिज पदार्थ के कुछ अंश  
  • फ्रक्टोज़ या सुक्रोज़ (यदि चीनी मिलायी गयी है) की अत्यधिक मात्रा  
  • संसाधित जूस में संरक्षक पदार्थ, कृत्रिम रंग और स्वाद  

    फल के बनिस्बत फल का रस  

एक सेब (130 ग्राम) - 90 किलोकैलोरी, 15 ग्राम कार्बोहायड्रेट, 4 ग्राम रेशा  - शुगर का धीरे-धीरे सम्प्रेषण  

एक गिलास सेब का रस (330 मिलीग्राम) - 150 किलोकैलोरी, 35 ग्राम कार्बोहायड्रेट, 2 ग्राम रेशा - शुगर का क्षणिक तेज़ प्रवाह  
 

जूस की तुलना में साबुत फल और सब्ज़ियां  
 

  • चीनी का मंथर सम्प्रेषण : जूस की अपेक्षा फल इसलिए बेहतर है क्योंकि उसे चबाने में अधिक समय लगता है | फल खाने से परिपूर्णता महसूस होती है और पाचन गति धीमी होती है जिससे शरीर में शुगर की मात्रा अचानक नहीं बढ़ती है |  
  • चयापचय सम्बन्धी बीमारियों होने की कम सम्भावना : अध्ययन और खोज के अनुसार साबुत फल और सब्ज़ियां खाने से टाइप 2 मधुमेह और मोटापा होने की सम्भावना कम हो जाती है |  
  • यकृत पर कम भार : यकृत वह अंग है जो शुगर का चयापचय करता है | फल का जूस लेने से शरीर में शुगर की अत्यधिक मात्रा हो जाती है जिससे यकृत पर अधिभार हो जाता है | अत्यधिक शुगर लिवर में वसा के रूप में संग्रहित होता है जिससे आगे चल कर इन्सुलिन विरोध विकसित हो जाता है |  
  • विषाक्तता - सब्ज़ियों में कुछ विषैले अवयव होते हैं | क्युकरबिटासे परिवार के सदस्य, जैसे लौकी और खीरा में विषालु यौजिक होते हैं जिन्हें क्युकरबिटॉसिन कहते हैं | इन्हें ग्रहण करने से उलटी और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल रक्तस्राव भी हो सकता है | क्योंकि जूस, रेशे के अभाव में, यकृत तक बहुत जल्दी पहुँच जाता है, इसका विषैलापन जानलेवा हो सकता है |  
  • पोषक तत्व - साबुत खाद्य पदार्थों में एंटीऑक्सीडेंट, रेशे, फाइटोन्यूट्रिएंट, और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है जिनसे सम्प्पोर्ण पोषण प्राप्त होता है | जूस में पोषक तत्त्व ऑक्सीकरण या रेशा ख़त्म होने की वजह से नष्ट हो जाते हैं |  
  • स्वच्छता - ताज़ा खाद्य पदार्थ अपने प्राकृतिक रूप में अधिक स्वच्छ होता है | जूस अस्वच्छ पानी और बनाने के तरीके की वजह से दूषित हो सकता है |

जूस अपने आहार में कब शामिल करें? 


फल और सब्ज़ियों के जूस निम्नलिखित परिस्थितियों में लें: 

  • निर्जलन - खासतौर पर गर्मियों में  
  • बीमारी से ठीक होने के दौरान - यदि आप फ्लू या किसी अन्य संक्रमण के शिकार हुए हों तो सब्ज़ियों का पतला सूप और फल के जूस शक्तिवर्धक होते हैं और शरीर में नष्ट हुए पोषक तत्वों की भरपाई करते हैं |  
  • पाचन समस्याओं में  - यदि डाइयरिआ हुआ हो तो अनार या सेब का रस लाभदायक होता है |  
  • दांत सम्बन्धी समस्याओं में - बुज़ुर्गों में यदि मधुमेह के लक्षण न रहे हों तो उन्हें जूस का सेवन करना चाहिए क्योंकि फल और सब्ज़ियां चबाने में उन्हें कठिनाई होती है |
  • विशेष अवस्थाओं या बीमारियों में -जूस के औषधीय लाभ भी हैं | जैसे, तुलसी और अदरक का ताज़ा जूस सर्दी,ज़ुकाम में राहत देता है | मात्रा बस ५-१० मिलीलीटर हो सकती है | परन्तु सेवन की अवधि सीमित होनी चाहिए |  
  • चिकित्स्कीय और पौष्टिक आधार पर अच्छे स्वास्थ्य के लिए जूस का सेवन करें |  

    आवश्यक है कि जूस का सेवन नियमित आहार के तौर पर न करें | साबुत फल और सब्ज़ियों में अधिक पौष्टिकता होती है | यदि जूस लेना ही है तो उसे निकलने की विधि में छानने की प्रक्रिया न करें | इससे जूस रेशायुक्त रहेगा | चुनाव आपके हाथ में है |  



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