गिलोय


गिलोय, मेनिस्पर्मैसीऐ परिवार की एक लता है, जिसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया हैl यह सामान्यतः गुडुची, अमृत, गुरच व टीनोस्पोरा के नामों से भी विख्यात है| 

संस्कृत में गिलोय को अमृत के नाम भी जाना जाता है | आयुर्वेद में गिलोय का उपयोग, कई शताब्दियों से असंख्य बीमारियों के उपचार में होता आया है l  

गिलोय का एक चित्तरंजक गुण यह भी है कि गिलोय के पौधे का कोई भी अंश मिट्टी में बोने से एक नये पौधे की उपज हो जाती है | 

गिलोय के स्वास्थ्य संबंधित लाभ 

रक्त में शुगर स्तर को कम करने में गुणकारी 
गिलोय के अल्पग्लूकोजरक्‍तता (हाइपोग्लाइसीमिक) वाले गुण के मूल्यांकन के लिए किए गए शोध के अनुसार, मधुमेह से ग्रसित लोगों द्वारा गिलोय का मात्र दो सप्ताह सेवन करने से, रक्त शुगर के स्तर में उल्लेखनीय कमी व साथ ही ग्लाइकोसिलेटेड रुधिर-वर्णिका (हीमोग्लोबिन) के स्तर में सुधार देखा गया है | किए गए कई अन्य पशु अध्ययन भी, गिलोय के रक्त में शुगर स्तर को कम करने की प्रभावकारिता को सिद्ध करते हैं |

  • ज्वर के उपचार हेतु 
    गिलोय में ज्वरनाशक में गुण होते हैं, इसी कारण यह बुखार व अन्य बीमारियों के उपचार में उपयोगी है | गिलोय में सूजन रोधक गुण भी पाए जाते हैं, साथ ही यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को विभिन्न संक्रमणों के विरुद्ध सबल बनाए रखने में उपयोगी है | 
    गिलोय, श्वेत रक्त कोशिकाओं (व्हाइट ब्लड सेल्स) की रोगाणुओं, जीवाणुओं व विषाणुओं को नष्ट करने की क्षमता को भी बढ़ाता है इसलिए यह डेंगू जैसी बीमारियों के उपचार में अत्यंत प्रभावशाली है| 

  • प्रतिरक्षा उत्तेजक 
    गिलोय में मौजूद कुछ घटक, शरीर में रोग - प्रतिकारकों (एंटीबॉडी-इम्युनोग्लोबुलिन) व श्वेत रक्त कोशिका (ल्यूकोसाइट्स) के स्तर में वृद्धि कर, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को सबल बनाने में सहायता प्रदान करते हैं | गिलोय में ५८.८% ठोस रसौली / फोड़ा (ट्यूमर) को कम करने की क्षमता होती है | यह प्रतिरक्षा उत्तेजक गुण, रसौली / फोड़ा के कारण होने वाली प्रतिरक्षादमन (इम्यूनोसप्रेशन) के निवारण में सहायक है व इसी कारण यह विभिन्न कर्क रोगों के उपचार के लिए एक उत्तम विकल्प है | 

    अपने प्रतिरक्षा प्रणाली उत्तेजक गुणों के कारण, गिलोय एचआईवी व अन्य किसी स्वप्रतिरक्षित रोग से पीड़ित लोगों के उपचार में भी उपयोग किया जाता है| इंडियन जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक एच आई वी से ग्रस्त मरीजों में,  कूटभेषज (प्लेसीबो) पद्धति से किए गए उपचार से  लाभान्वित २०% मरीज़ों की तुलना में गिलोय  उपचार पद्धति से ६०% एचआईवी मरीज़ों में एचआईवी संबंधी लक्षणों में गिरावट देखी गई। इससे यह प्रमाणित हुआ है की गिलोय एचआईवी संक्रमण के उपचार हेतु एक प्रभावशाली जड़ी-बूटी है |

गिलोय के अन्य लाभ 

  • प्रतिउपचायक (एंटीऑक्सिडेंट) के रूप में - गिलोय में उच्च प्रतिउपचायक क्षमता होती है, जिसके कारण यह जारणकारी (ऑक्सीडेटिव) तनाव से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए एक सशक्त पौष्टिक-औषध (न्यूट्रास्युटिकल) के रूप में उपयोग किया जाता है | 
  • व्रण (अल्सर) रोधक गुण - गिलोय व्रण विरोहण की प्रक्रिया में सहायता करता है तथा तनाव उत्प्रेरित व्रण के  विरुद्ध बचाव का कार्य करता है | 
  • मानसिक विकार - गिलोय की पत्तियां ही नहीं अपितु संपूर्ण पौधा ही पारंपरिक रूप से विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों के उपचार में सहायक रहा है| यह मानसिक तनाव, व्यग्रता (एंग्ज़ाइटी) को कम करने के साथ-साथ स्मरणशक्ति बढाने में भी सहायता करता है | 
  • सूजन विरोधक (एंटी इंफ्लेमेटरी) गुण - अपने सूजन विरोधी गुणों के कारण गिलोय का प्रयोग गठिया (आर्थ्राइटिस) के लक्षणों, खासकर सूजन व जोड़ों मे दर्द के उपचार लिए किया जाता है | 
  • घाव भरने में सहायक - गिलोय बैक्टीरिया नष्ट करने वाली कोशिकाएँ  (फागोसाइटिक कोशिकाएँ) को उत्तेजित करता है जो जीर्ण घावों के भरने में सहयोगी है | 
  • गिलोय के तने का रस, शहद के साथ पीने से दमा की समस्याओं से राहत प्राप्त होती है |

उपयोग और दुष्प्रभाव 

गिलोय मुख्यत: ज्वरनाशक के रूप में, विभिन्न प्रकार के बुखार जैसे डेंगू या जीर्ण बुखार के उपचार हेतु उपयोग किया जाता है | 

  • गिलोय का रस वात दोष के कारण होने वाले बुखार को नियंत्रित करने में सहायक है | 
  • बराबर मात्रा में, गिलोय और शतावरी का रस  गुड़ में मिलाकर उसका सेवन करने से वात दोष के कारण होने वाले बुखार को दूर करता है | 
  • गिलोय का रस, काली मिर्च और शहद का मिश्रण जीर्ण बुखार, कफ, प्लीहावृद्धि (स्प्लीन एनलारजमेंट), खांसी व भूख का अभाव (एनोरेक्सिया) आदि के उपचार में उपयोगी है | 

पीलिया - छाछ के साथ गिलोय के पत्तों का लेप पीलिया के उपचार में लाभदायक है |  

उल्टी - गिलोय के काढ़े का सेवन उल्टी की समस्या से राहत प्रदान करता है | 

रसायन के रूप में उपयोग - गिलोय में उच्च प्रतिउपचायक क्षमता होती है तथा यह रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में भी सहायता है| गिलोय में पुनर्जनन की शक्ति भी होती है। गिलोय का उपयोग एक-दो महीनों तक नियमित रूप से करने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है | 

दुष्प्रभाव 

  • गिलोय रक्त में शुगर के स्तर को कम करता है इसलिए मधुमेह से ग्रसित लोगों को इसका उपयोग  सावधानीपूर्वक व आयुर्वेदिक चिकित्सक के सुझाव व संरक्षण के अंतर्गत ही करना चाहिएl
  • गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान भी गिलोय का उपयोग सुझावित नहीं है |

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