कब्ज़ पाचन तंत्र की वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति का मल कड़ा होने के कारण मलत्याग में कठिनाई होती है | व्यक्ति को ऐसा प्रतीत होता है कि पेट ठीक से साफ़ नहीं हुआ है | ज़्यादातर यह स्थिति इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि अमाशय में मौजूद भोजन में से अमाशय आवश्यकता से अधिक पानी सोख लेता है | मल कड़ा हो जाता है और निष्कासन में तकलीफ होती है |
हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 22 % वयस्क भारतीय जनता कब्ज़ से ग्रसित है | कलकत्ता में इसकी व्यापकता 28% है, जो सर्वेक्षण के आठ शहरों में सबसे अधिक है |

कब्ज़ के कारण
- संसाधित खाद्य पदार्थ जैसे चिप्स, ब्रेड, सफ़ेद चावल का सेवन
- भोजन में साबुत अनाज, फल और सब्ज़ियों की कमी
- दुग्ध पदार्थों का अत्यधिक सेवन
- पानी काम मात्रा में पीना
- चाय/कॉफ़ी/मदिरा का अत्यधिक सेवन
- सुस्त जीवनशैली
- दबाव आने पर शौच न जाना
- हाइपोथायरायडिज्म, मधुमेह, पार्किंसंस रोग, पेट का कैंसर, मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस, नैदानिक डिप्रेशन, IBS दवाइयां जैसे, गर्भावस्था, हार्मोनल बदलाव लौह सप्लीमेंट, हाइपरटेंशन की दवाइयां, एंटीडेप्रेस्सेंट
- आयु - वृद्धावस्था में सुस्त चयापचय क्रिया
- यात्रा - दिनचर्या में बदलाव की वजह से अल्पकालिक कब्ज़
- रेचक औषधियों का अधिक सेवन
- तनाव
लक्षण
- मल निष्काशन में कठिनाई एवं अत्यधिक बल का प्रयोग
- सप्ताह में तीन बार से कम मल निष्काशन
- शुष्क मल के कारण मलद्वार कटना और रक्तस्राव होना
- उदर में फुलाव और दर्द
- जी मिचलाना
- भूख में कमी
कब्ज़ की जटिल स्थिति
बवासीर : यदि मल निष्काशन के समय व्यक्ति ज़्यादा बल लगाता है तो मलद्वार के आस-पास की शिराओं में सूजन आ जाती है | जीर्ण कब्ज़ की वजह से पाइल्स होने की भी सम्भावना होती है |
मल में खून आना : मल निष्कासन में ज़्यादा बल लगाने से मलद्वार कट जाता है |
शुष्क मल - कब्ज़ के कारण कड़ा मल अंतड़ियों में चिपक कर इकठ्ठा होने लगता है |
गुदा भ्रंश - मल निष्कासन में लगातार बल लगते रहने से गुदा का एक भाग खिंच कर मलद्वार से बाहर आ जाता है |
उपचार

उपचार का लक्ष्य मल को आयतन प्रदान करना है | मॉल की शुष्कता कम करना एवं उदर की मांसपेशियों का व्यायाम मॉल निष्कासन में सहायक होते हैं |
खान-पान एवं जीवनशैली में बदलाव
- रेशायुक्त भोजन का अत्यधिक सेवन : 20-25 ग्राम रेशा साबुत अनाज, दाल, बिना छिले हुए फल और सब्ज़ियों से लें | धीरे-धीरे भोजन में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं | इससे मल में नमी रहती है और मल आसानी से निष्कासित होता है |
- लसादार रेशायुक्त भोजन लें - भिंडी, अलसी, मेथी, सब्जा, इसबगोल इत्यादि |
- संसाधित भोजन और दुग्ध खाद्य पदार्थों से बचें |
व्यायाम
लगभग ३०-४० मिनट चलें या योगाभ्यास करें जिसमें उदर की मांसपेशियों का इस्तेमाल हो |
सही शौच अभ्यास
- अख़बार, मोबाइल फ़ोन, टेबलेट अपने साथ शौच में न ले जाएं
- मलत्याग को न रोकें
- उकड़ूँ बैठने से मॉल त्यागने में आसानी होती है | यदि आधुनिक शौचालय है तो एक छोटा स्टूल पैर के नीचे रखें जिससे उकड़ूँ बैठने में मदद मिले|
आयुर्वेदिक उपचार
- रेड़ी का तेल - यह स्निग्धकारी है तथा बच्चों और वृद्धों के लिए सौम्य रेचक का भी कार्य करता है |
- हाइपोथायरायडिज्म और मधुमेह का उपचार
- प्राकृतिक स्निग्धकारियों का इस्तेमाल - गाय का घी, घर का बना मक्खन
- रात को गरिष्ट भोजन न लें और भोजन के तुरंत बाद न सोएं |
- उदार पर रेड़ी का तेल लगाएं
- समय पर सोएं