एंटीबायोटिक दवाइयों का अति-उपयोग


हमारे शरीर के पास स्वयं को स्वस्थ करने की प्रबल तकनीक है जो उसे बीमारियों के आंतरिक और बाहरी कारणों से लड़ने में सक्षम बनाती है | परंतु कई बार शरीर को संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने के लिए अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता पड़ती है | एंटीबायोटिक दवाइयां शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को यह सहायता प्रदान करती हैं| लेकिन इन दवाइयों का अविचारपूर्ण और दीर्घकालीन उपयोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर भी बना सकता है 

assorted medication tables and capsules

प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के  अध्ययन के अनुसार 2000 से 2015 के बीच भारत में एंटीबायोटिक दवाइयों का उपयोग दोगुना हो गया है जिससे एंटीबायोटिक प्रतिरोध विकसित हो गया है|

डॉक्टरs  ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध में वर्धन की चेतावनी दी - टाइम्स ऑफ इंडिया, अक्टूबर 2018

15 वर्षों में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल भारत में हुआ दुगना - दि हिंदू,  मार्च 2018

डॉक्टरs ने एंटीबायोटिक  दवाइयों के अति-उपयोग के खिलाफ दी चेतावनी - दि हिंदू, जुलाई 2018

 

एंटीबायोटिक दवाइयों का दुरुपयोग या अति-उपयोग कैसे होता है?

बिना आवश्यकता उपयोग: एंटीबायोटिक दवाइयों का उपयोग केवल बैक्टीरियल संक्रमण को ठीक करने के लिए किया जाता है, वायरल या फंगल संक्रमण को नहीं| अक्सर सर्दी जुकाम वायरस की वजह से होते हैं जिसमें एंटीबायोटिक दवाइयां किसी काम की नहीं होती है | परंतु आजकल नॉनप्रिसक्रिप्शन एंटीबायोटिक दवाइयों की ओवर द काउंटर बिक्री और चिकित्सकों द्वारा इन दवाइयों का उग्र प्रचार (सर्दी और जुकाम के लिए भी) दोगुना हो गया है|

अनुचित खुराक: ज्यादातर रोगी एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल थोड़ा सा आराम होने पर ही बंद कर देते हैं | दवाई का निर्देशानुसार पूरा कोर्स (3/5/7 दिन डॉक्टर के अनुसार) करना आवश्यक है | कई बार रोगी दवाई की कम खुराक लेते हैं जिसकी वजह से बैक्टीरिया जीवित बने रहते हैं और दवाई के खिलाफ इनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है|

खाने में एक्सपोजर: जानवरों को पालने में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बढ़ गया है| जानवरों में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल संक्रमण और बीमारियों से बचाव अथवा शारीरिक विकास के लिए किया जाता है| एंटीबायोटिक्स का अति उपयोग, प्रतिरोध को मनुष्यों में प्रेषित करता है, जब वे इन जानवरों के सीधे संपर्क में आते हैं या फिर इन्हे खाते हैं|

 

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के परिणाम

अनेक संक्रमण जैसे निमोनिया, टी बी, गोनोरिया, सालमोनेलोसिस का उपचार, बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक दवाइयों के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ने की वजह से कठिन हो रहा है| एंटीबायोटिक दवाइयों की उपचार क्षमता कम हो गई है|

प्रतिरोध की वजह से हॉस्पिटल में रहने की अवधि, उपचार का मूल्य और मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी  हुई है|

नियंत्रण और बचाव

एंटीबायोटिक प्रतिरोध से बचाव और इसे नियंत्रण में लाने के लिए डब्ल्यू एच ओ ने निम्नलिखित दिशा निर्देश दिए हैं:

  • एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल किसी प्रमाणित चिकित्सक के निर्देश अनुसार ही करें|
  • न तो बची हुई दवाइयों का सेवन करें और न ही अपनी दवाइयां किसी और के साथ बाटें |
  • संक्रमण से बचने के लिए अपने हाथ नियमित धोएं, भोजन को साफ़-सुथरे तरीके पकायें, बीमार व्यक्तियों के साथ अत्यधिक नज़दीकी संपर्क में न आएं, सुरक्षित यौन सम्बन्ध बनायें|
  • डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्देशित सुरक्षित भोजन के पाँच तरीकों को अपनाएं - सफाई  बरतें,  कच्चे और पके हुए भोजन को अलग अलग रखें, भोजन को पूर्णतया पकाएं, भोजन को सुरक्षित तापमान पर रखे, साफ पानी और कच्चे पदार्थों का इस्तेमाल करें| उस खाने का चयन करें जो ऐसे जानवरों से मिला है जिन्हें बिना एंटीबायोटिक की सहायता से विकसित किया गया है|

यदि आप बीमार हैं तो अपने शरीर को स्वयं को स्वस्थ करने के लिए कुछ समय दें | शरीर के प्रतिरोधक तंत्र को उसका काम करने दे,  क्योंकि किसी भी बीमारी से लड़ने का यही सबसे अनुकूल तरीका है | चिकित्सकों और एंटीबायोटिक दवाइयों का सहारा तभी ले जब आपका शरीर बीमारी के तनाव से स्वयं को स्वस्थ करने में असक्षम हो|  अपने स्वास्थ्य के प्रति समझदारी बरतें|


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